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दिल नहीं है तू मेरा

दिल नहीं है तू मेरा

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तेरी यादें जब भी सोचता हूँ

अब आती नहींं मुझे

फिर तो बस

जैसे कसके सीने से लग जाती है मेरे।


हर तराने को छेड़ देती है

दिल के वो मेरे

इतना अब भी बसा है तू मुझमें।


कि खुद को भी याद नहीं हूँ इतना

जिन जख्मों के निशाँ

भी है नहीं अब तो

तुम फिर भी उन्हें छेड़ देते हो।


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