तुझ को याद आना चाहता हूँ
तुझ को याद आना चाहता हूँ


ये जो रोज तेरा इंतजार करता हूँ
तेरी एक झलक का मैं दीदार करता हूँ
सोचता हूँ कभी तेरी आँखें भी मुझ को ढूंढे
कभी याद तुझ को मेरी भी आये
साँसे तेरी बढ़ जाये मुझ को देखके
और धीरे से तू भी शर्माए
प्यार जिस तरह मैं तुझ को करता हूँ
काश वैसा कुछ तू भी मुझ से कर पाए
मैं थोड़ा सा खुद पे गुमान करूँ
तुझ को पा के मैं भी इतराऊँ
थक गया हूँ तुझ को याद करते करते
हाँ अब मैं तुझ को याद आना चाहता हूँ
अब खुद पे मैं इतराना चाहता हूँ ....