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Ruchi Madan

Others

5.0  

Ruchi Madan

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वो पल जो कभी आते नहीं

वो पल जो कभी आते नहीं

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सोचता हूँ, की अब रुक जाऊँ

कुछ पल ठहर कर आराम तो लूँ

कुछ याद कर लूँ अपनी हँसी पुरानी

और अपने पुराने यारों का नाम भी लूँ


ज़िन्दगी पता नहीं कहाँ

भागे जा रही है

कभी घर, कभी बच्चे,

काम और ये दुनियादारी

बस इसमे ही कही मुझे

बांटे जा रही है


थक कर जब टूट जाता हूँ एक

बिस्तर ही है

जहाँ कुछ आराम पाता हूँ,

लग जाता हूँ फिर से

बुनने कल के तानेबाने,

रह जाते है रोज ही

दो पल जो हो मेरे वो पल

जो हो ना सके मेरे



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