सती के शिव
सती के शिव
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घी के वस्त्र पहन, खड़ी है अग्नि,
स्वाहा होने चली है, एक पत्नि,
मूक है देव, गंधर्व, नर-नारी,
नियति की अति, पड़ी सबपे भारी।
ज्ञान की देवी, अज्ञानी हो गई,
श्री नासिका कटकर, दो हो गई,
गंगा का जल, अपावन हो गया,
वीर भद्र का जब, प्रहार हो गया।
काल का रूप, महाकाल हो गया,
घमंड में पिता, पापी हो गया,
सती की अति ने, क्या कर दिया।
शंकर को शिव से, शव बना दिया।