नारी की पहचान
नारी की पहचान
ठंड सी ठिठुरती हूँ
मोम सी पिघलती हूँ
बारिश की बूंदों सी बरसती हूँ
तो मैं एक नारी की पहचान हूँ
लेकर पर्वतों का रूप
गम के मेघों को रोक
स्वयं पर बरसाती हूँ
तो मैं एक नारी की पहचान हूँ
हवा सा मन है मेरा
अम्बर सा आँचल फैला
धरा की जटिलता रखती हूँ
तो मैं एक नारी की पहचान हूँ
सागर से गहरे भाव मेरे
लहरों सी मुदित होकर
खुशियों के मोती देती हूँ
तो मैं एक नारी की पहचान हूँ
मेघ - बादल
जटिलता -
मुदित - delighted मगन, मस्त