मुझे पढ़ना-लिखना है
मुझे पढ़ना-लिखना है
मैं आज की नारी हूँ
मुझे इतना कहना है
मुझे पढ़ना-लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है
पुरुषों से तुलना कर
जग ने मारी ठोकर
पर गिरकर फिर उठकर
मुझे आज संभलना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।
युग-युग से नारी ने
कितने संघर्ष किए
मुझे आज भी इस युग में
दीपक बन जलना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।
मुझे अबला नाम न दो
कमजोर नहीं समझो
मैं रुप हूँ शक्ति का
मुझे आज बदलना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।
है जग की रीत यही
नारी चुपचाप रही
इस अत्याचार को अब
मुझे और न सहना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।
पुरुषों से अधिक नहीं
तो कम भी नहीं रही
मुझे उनके कदमों से
कदम मिलाकर चलना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।
है कठिन बड़ी ये डगर
पर काँटों पर चलकर
पहुँचूँगी मंजिल तक
यह मेरा सपना है
मुझे पढ़ना लिखना है
मुझे आगे बढ़ना है।