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Dr. Nidhi Priya

Abstract

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Dr. Nidhi Priya

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क्या कहाँ और किसलिए

क्या कहाँ और किसलिए

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किस दौड़ में लगे हैं हम

किस बात का है डर

मंज़िल कहाँ है कुछ हमें

आता नहीं नज़र


क्या चाहिए हमें भला

किसका ख़याल है

किस बात से है खुशी

किसका मलाल है


क्या हो रहा है उसका भी

कुछ है नहीं असर

मंज़िल कहाँ है कुछ हमें

आता नहीं नज़र


कैसे चलें कि राह में

काँटे हजा़र हैं

कब तक चलें कि मुश्किलें

सर पर सवार हैं


इस दर्द भरी दुनिया में

कैसे करें बसर

मंज़िल कहाँ है कुछ हमें

आता नहीं नज़र


किस मोड़ पर रुके थे हम

किस मोड़ से चले

जाने कब सवेरा हो

कब रात ये ढले


आए कहाँ से किसलिए

जाएँगे अब किधर

मंज़िल कहाँ है कुछ हमें

आता नहीं नज़र


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