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Dr. Nidhi Priya

Romance

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Dr. Nidhi Priya

Romance

तुम बनो...

तुम बनो...

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तुम बनो गीत उस नीरव का

जिसका कोई संगीत नहीं

तुम प्रेम बनो उस दुखिया का

जिसके जीवन में प्रीत नहीं


बनकर के इक जलता दीपक

तुम राह सदा दिखलाते रहो

और बन जाओ नभ का तारा

तुम दिशा ठीक बतलाते रहो


तुम बनो एक बहता निर्झर

और सबकी प्यास बुझा डालो

सुखों की घनेरी छाँह बनो

दु:खों की तपन मिटा डालो


बिन बोले ही सब सुन लें जो

तुम ऐसी कोई बात बनो

जो दिन से भी उजियारी हो

ऐसी इक सुंदर रात बनो


तुम ज्योत बनो उन आँखों की

जिन्हें सूझ रही कोई राह नहीं

और आस बनो उन साँसों की

जिन्हें जीने की है चाह नहीं


तुम स्वप्न सलोना बनकर के

सूनी पलकों में बस जाओ

जीवन की सूखी धरती पर

बनकर के मेघ बरस जाओ


घनघोर भयानक आँधी में

किसी नइया के पतवार बनो

तुम संग चलो और साथ रहो

किसी जीवन का आधार बनो।


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