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Dr. Nidhi Priya

Abstract

4.5  

Dr. Nidhi Priya

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सुबह आएगी

सुबह आएगी

1 min
462


है दुनिया का गुलशन बड़ा ही अजीब

कहीं फूल हैं तो कहीं काँटे भरे

है उजाला खुशी का किसी के तरफ

ज़िंदगी में किसी के सन्नाटे भरे


कोई दु:ख के दरिया में बहता हुआ

कोई सुख के सागर में तल्लीन है

नफे में है कोई ये उसका नसीब

किसी की किस्मत में हैं घाटे भरे


पर अगर शाम है तो गज़ब क्या हुआ

ले खुशियों का पैगाम सुबह आएगी

अकेले जो हैं तो है घबराना क्या

चलो खाली जगहों को पाटें, भरें


अब तलक तो महज़ साँस लेते रहे

आज सीखा है हमने कि जीना है क्या

किसी गैर का दर्द लेकर उधार

उसके जीवन में खुशियों को बाँटे, भरें


चमन में जो गुल हैं तो काँटे भी हैं

अगर धूप होगी तभी छाँव है

चलो आज जीवन की डलिया में हम

सारी कलियों को चुन करके छाँटे भरें।


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