आत्महत्या
आत्महत्या
दोष किसको दें हम,
आँखे सबकी आँसुओं से नम।
परीक्षा में आए जो अंक कम,
दिखती हैं लाशें हर क़दम।
दुःख के बादल छाए चारों ओर,
उसकी मृत्यु का हो रहा था शोर।
मिला उसकी पुस्तक में एक लंबा नोट,
”माँ-पापा, कम अंकों से मेरे हृदय पर लगी चोट।
परम संघर्ष के बाद मिली न कोई रंगत
इसलिए छोड़ रहा हूँ इस संसार की संगत।
यह पढ़कर माता-पिता ने खोए अपने होश,
सोचा,अब बदलना होगी इस समाज की सोच।
रट्टा लगाने पर लगाओ विराम,
तब ही मिलेंगे सपनों को मुक़ाम !
अगर अंक रह भी गए अधूरे,
रुको मत, अपने सपने करो पूरे,
अपने सपने करो पूरे !