जिंदगी की किताब..!
जिंदगी की किताब..!
जिंदगी है यादों की वो सुनहरी किताब...
हर पन्ने की अपनी कहानी, अपने किस्से..
हर पन्ने पर अपनो के वो हिस्से...
कुछ खट्टे तो कुछ मिठे वो नग्मे...
कहीं अपनो का प्यार
कहीं सपनों का वो संसार
कहीं गैरों की वफायें
कहीं अपनो का यूँ साथ छोड़ना
कहीं सपनों का यूं टूटना
कहीं अपनों का रूठना
कहीं खुशियों का ज़ूम के आना
कहीं गम से आहें भरना
कहीं सपनों का यूं सच होना
कहीं अनचाही खुशियों का मिलना
कहीं टुटके बिखर जाना
कहीं गिर के फिर उठना
कहीं पहले प्यार का नया उमंग
कहीं दिल टूटने का वो बेहद गम
कहीं दोस्तों से तकरार
तो कहीं तकरार के बाद का प्यार
हर पन्ने पर बदलते रास्ते और मंजिल
नहीं बदला तो सिर्फ मंजिल पाने की चाहत,
टुटके फिर उठने का वो होंसला,
खुद पे यकीन और कुछ पाने की जिद्द,
आगे बढ़ने का वो जज्बा।
