मां
मां
दुनिया के हर गम से हर पल मुझे बचाती है मां,
जो ठोकर लग जाए तो ठोकर को भी चोट लगाती है मां ,
हमारे गम में रोती हैं हमारी खुशियों में मुस्कुराती है मां,
हमें दुनिया की बुरी नजर से बचाने को काला टीका बन जाती है मां,
हमें सब कुछ देने की कोशिश में,
वह हर समझौता कर जाती है,
अपने सपने ,अपनी सेहत सब को अनदेखा कर जाती है,
जो पूछो कभी भी हाल उनका हर पल खुद को अच्छा बताती है,
हर दर्द छुपा कर अपना हमारे सामने मुस्कुराती हैं,
हमें देखकर अपना हर दर्द भूल जाती है मां,
गोद में रख के सिर ममता भरी उंगलियां फिराती है मां,
मैंने बचपन से देखा है मां को मोम सी पिघलते हुए,
हमारा जीवन रोशन करने को दिन-रात जलते हुए,
हमें सफल बनाने में खुद को भी भूल जाती है मां
एक पूरे परिवार के साथ मां बच्चों को भी संभालती है,
परिवारिक मूल्यों और संस्कारों के ज्ञान जहन में डालती है,
हम अपने परिवार से जुड़े रहे यह बात हमें हर पल समझाती हैं मां
मां नहीं समझती दुनियादारी और ना ही
किसी फायदे नुकसान से उनका कोई सरोकार है,
च्चों की खुशियों में ही बसता उनका संसार है ,
अपनी तकलीफों को हमसे हरदम छुपाती है मां
हमारी सलामती के लिए ना जाने कितनी व्रत और उपवास कर जाती है,
कभी मन्नत, कहीं धागे तो कहीं दिए जलाती हैं ,
अगर हमें कोई तकलीफ हो तो भगवान से भी लड़ जाती है मां,
मां आपने जो भी किया, वो मैं लिख नहीं पाऊंगी ,
पर है एक वादा आपसे मेरा आपके संघर्षों को समझूंगी
और आपके आदर्शों पर चलकर दिखाऊंगी ,
रखूंगी आपकी खुशियों का ख्याल और ना कभी भी सिर आपका झुकाऊंगी।
