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Deepu Bela

Tragedy Others

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Deepu Bela

Tragedy Others

कहानी बेवा (विधवा) की..!!

कहानी बेवा (विधवा) की..!!

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तेरे जाने से कुछ मर सी

गई थी में

उस टूटी चूड़ियों की तरह 

कुछ बिखर सी गई थी मैं।


जिस सिंदूर को शौक से

सजाती थी मैं अपने मांग में

आज उसी लाल रंग को

छूने के भी काबिल नहीं मैं

तेरी दी वो चूड़ियां शौक से

पहन के

कैसे तुझ को दिखाती थी मैं

अब सुनी कलाइयों में खुद को

छुपाती हूं मैं।


याद है मुझे तुम कहते थे...

"तेरे होने से ही मेरी जिंदगी में

ये सारे रंग है"

अब तो होली में भी खुद को

छुपाती हूं 

आंसूओं में खुद को डुबोती हूं।


तुम थे तब तेरी पसन्द के

रंग पहनती थी

अब तू नहीं तो मेरी पसन्द के

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रंग भी नसीब नहीं

तुम्हें शिकायत रहती थी ना मुझसे..

मैं सजने संवरने में घंटों लगाती हूं

अब घंटों तेरी यादों में गंवाती हूं।


मेरे तो सारे रंग तो गए तेरे संग

अब जिंदगी हो गई है बेरंग

अब बस मेरा एक ही रंग

जिस पे ना लगे कोई रंग 


अब तो आँख के आँसू भी सूख गए

ख़तम हो गए खुद को बहलाने के

बहाने

बस रह गए है तो लोगो के ताने

ना जाने क्यूं सब मनहूस ही

मुझ को माने

गलती से लग जाए कोई रंग

याद दिलाते है सब मुझे

तेरे जाने का ग़म


मेरे लिए तू तो मर के भी

ना मर सका

पर तेरे जाते ही लोगो ने

मुझे जीते जी ही मार दिया..!


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