STORYMIRROR

Deepu Bela

Others

3  

Deepu Bela

Others

अब बस भी करो..।

अब बस भी करो..।

1 min
445

उदास आज हर चेहरे है दिल पे जख्म गेहरे है।

आज हाथों में मोमबत्ती ,आंखों में आंसू

और मुंह पे सबके ताले है।


क्या अजीब तमाशा है ये...

नियत तेरी खराब है और पिंजरे में कैद

हमें किया जा रहा है संस्कारों में तेरे कमी है


और बदनामिया मेरी सरेआम हो रही है

नज़रिया तेरा खराब है और सवाल मेरे

कपड़ों पर उठाए जा रहे है हैवान तू बन बैठा है


और जनाजा मेरा निकाला जा रहा है

हवस की प्यास तेरी बुजी है और

जिस्म मेरा जलाया जा रहा है कब

तक चलेगा ये तमाशा..?


कब तक यूं अपने पैरो तले रोंधोगे हमे..?

क्या तुझे याद नहीं वो जिसकी वज़ह से तेरे पावों ने छुई

ये जमीं है तेरी आंखों ने देखा ये फलक है तेरी

एक चोट से जिसकी निगाहें जाती छलक है


उस ममता की कोख पर क्यों

आज तू बन बैठा कलंक है।

क्या तुझे याद नहीं वो हाथ 

जिसने तेरी कलाई पर कभी सोंपा था


अपना भार राखी की एक डोर से माँगी थी

तेरी सलामती की दुआएँ हजार क्या कमी थी

उस बहन के प्यार में जो तुम किसी

और की बहन को यूं जला आए बीच बाज़ार में ?


अब बस भी करो..अब और कितना

खुद को अपनी ही नजरो में गिराओगे ?


Rate this content
Log in