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Deepu Bela

Tragedy

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Deepu Bela

Tragedy

khud se mulakat

khud se mulakat

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आज अरसो के बाद जगी हूँ

जैसे बरसों की लम्बी नींद सोयी थी।

आईने मे आज खुद को देखा है

जैसे खुद से आज फिर से मिली हूं।


आज तेरी ना कोइ बातें है, ना तेरा जिक्र

लो, अब तेरी कोइ फ़िक्र भी नही है

मानो आज मेरे अन्दर तू कहीं मर सा गया है

मानो आज मेरा नया जन्म सा हो गया है।


तेरे दिए उन फूलों को, खुश्बू समेत फेक आयी हूँ

उन खतों को जलाकर, अपने हाथ सेंक आयी हूं।


सुन, अब कोई फ़र्क नही पड़ता, तेरे होने या ना होने से

अब डर नही लगता तुझको को खोने से,

अब नही कहूंगी तुझे लौट आने को

अब दिल नही तैयार फिर से चोट खाने को,

अब नही आऊँगी तुझे बार बार मनाने को

अब दिल नही तैयार तेरा होने को।


कल तक मेरी हर दुआओं मे तू शामिल था

आज तू मेरी नफरतो के भी काबिल नही

कल तक मेरी सारी दुनिया ही तू था,

लो, अब तो मेरी दुनिया में ही तू नहीं।


हसीं आती है मेरी नाकाम मरने की कोशिशों पर,

सोचती हूं, जान तो मेरी जानी है

तुझे तो कोई और मिल जानी है फिर

तूने "मेरी पहली मोहब्बत " यही सुनानी है

फिर से दोहरानी वही कहानी है।


काश, तू भी कभी ऐसे ही तड़पे

तुझे भी तो पता चले

गीले तकियों पर नींद कैसे आती है।


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