कहानी कुछ ऐसी
कहानी कुछ ऐसी
कुछ ऐसी कहानी,
जो कहती हो कुछ खास
चलो चल कर,
हम भी तो देखें क्या खुदा की रहमत है।
कुछ आज तो कुछ कल
आखिरकार
हमें भी तो पता चले उन दिनों की कहानियां।
कैसे रचायें गए थे कुुुछ ,
जो अपनों के लिए और अपनों से ही अपनों में उन्हें
कुुछ इन लम्हो में उन्हें हमेेेशा के लिये पराया
कर दे।
तो चलिए कुछ इन समूहों में और कुछ उन समूह में यहांं समूहों से समूह से तात्पर्य उन दिनों से है जो कभी हमारे लिए यह उन सभी के लिए खास हुुआ करते और आज और आज इनका कोई मूल्य ही नही।
----- अब कुछ मिली वह जानकारियां हमें कुछ खास पल का याद दिलाती है और आगे इस कहानी को जानने के लिए थोड़ा इंतजार तोो करना बनता है।
कहानी कुछ ऐसी है जो दिल और दिमाग दोनों को जोड़ती है थोड़ा ध्यान से सुनिए गा फिर तो आपको रुकने नहीं देंगे
हम कहना कुछ यूं चाहते हैं और सामने वाला कुछ ही यूं समझना चाहता है इसमें हमारी गलती क्या और सामने वाले की भी क्याा गलती गलती थी तो सिर्फ कुछ शब्दों की है
जिम में थोड़ा भी हेरी फेरी होने पर उनके कुछ अलग ही अर्थ निकलने लगते हैं और हम समझते भी वही है हम उनकी भावनाओं को ही भूल जाते हैं कि आखिरकार सामने वाला कहना क्या चाहता है और बस उसके शब्दों को लेकर हम बैठ जाते हैं।
और इसी बीच बातों बातों में लड़ाइयां छोड़ जाती है और मनमुटाव भी बढ़ जाते हैं तो बातों को छोड़ उनकी भावनाओं पर जाइए और उन्हेंं समझने की कोशिश करिए शायद आप समझ पाएंगे शायद उस दिन आप समझ पाएंगे कि हम कितने गलत थे और वह कितने सही तो बस आपसे हमें यही कहना चाहेंगे जो भी कहे और आप जो भी सुने भावनाओं और दिल से सुने शब्दों पर मत जाए कभी-कभी शब्द ही हमें अपनों से दूर कर देते हैं।
और हां अपनों का प्यार बनाए रखें और अपनों से प्यार करते रहे खूब हंसे और खूब तरक्कियाँ करो।
