माँ
माँ
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जन्नत का हर रूप है प्यारा
चाहे वो हो शीतल छाया
फिर हो चाहे आग और पानी,
सबमे मिलता एक मिलन
प्यार नजर आता दुबारा--------------
कितने पन्ने यू भर जाते
पर मन भरता है न हमाारा,
एक एक रात यूं बीते
लेेेकिन माँ का मानवता न टूटे------------
राह में तपन चाहे जितना हो
एक आशा बनती वो मेरी है,
मंजिल जो पाया हमने है
उसका इतिहास वही है-----------