जिंदगी 3.
जिंदगी 3.
कैसा था वो उस दिन का अजीब सा आभास होना ----
कि मैं सोयी हुयी कहीं किसी ट्रेन से किसी को मिलने गई।
यकीनन मैं वहाँ पहुंची और देखती क्या हूँ की मैं
वहाँ कभी पहले जा आ चुकी हूं, जैसे मैं वहाँ इधर उधर देखी
तो कुछ अलग सा अपनापन अहसास हुआ।
पर
क्या कैसे क्यों ऐसा मेरे साथ ही होता है,
मैं बहुत हैरान परेशान थी और
इसका जिक्र
मैंने कई दफा दूसरों से किया, लेकिन सभी का जवाब एक
ही होता।
यार, आप कभी न कभी वहाँ गई होंगी
लेकिन हकीकत तो कुछ और थी।
और हाँ, सिर्फ घूमने वाले स्थानों के साथ ही नहीं बल्कि
कोई भी स्थिति जो मैं अब सामना कर रही हूँ,
मैं हमेशा बहुत सी चीजे है जो इस दिमाग को
इस ओर दौड़ा देती हूं और शायद इसी वजह से ऐसा होता
है।।