तू खुश है तो मैं खुश हूं
तू खुश है तो मैं खुश हूं
एक मां ने अपने बेटे से कहा
उठ जा सुबह हो गई है बेटे
वह बिस्तर पर ही पड़ रहा लेटे लेटे,
मां बेटे को कान पकड़ कर उठाती है
मां की यही अदा बेटे को बहुत भाती है
भले ही गुस्से से ही सही,
सुबह सुबह तो मां उसके पास आती है
इस बहाने बेटा मां के देखता है कई स्वरूप
प्यार जताने मां दिन में बदलती हैं अनेकों रूप
बेटा प्यार पाने के लिए मां को सताता है,
कभी दूर भागता हैं तो, कभी पास आता है,
रोटी खाने में भी कई बार बहुत नखरे करता है,
बेटे को भूखा देख,
मां का मन भी खाने को नहीं करता है,
मां सोचती है बेटा भूखा है तो, मैं कैसे भोजन करूं
क्या मां होने के नाम को कंलकित करूं,
यहीं तो ममता है जो सदियों चली आ रही है,
इसलिए मां की बात हर जगह की जा रही है,
जब चंचल बच्चा मां को नहीं सताता है,
वो क्षण ऐसा हैं जब मां को डर सताता है
बीमार तो नहीं हो गया मेरा प्यारा लाल,
बुरी नजर उतार, मां करती हैं बच्चे की संभाल,
जैसे ही चंचल बाल मन मां को फिर से सताता है
वैसे ही मां का चेहरा फूल की तरह खिल जाता है
वो कहती हैं कि तू ऐसे ही करते रहा कर मस्ती,
तेरी ही खुशी देखने में ही मेरी जान है बसती,
बहुत से बच्चे मां को रोजाना सताते हैं,
मस्ती में कभी मां का दुलार तो कभी मार खाते हैं,
बच्चों के दिलो में मां है, तभी मदर्स डे मनाते हैं।
