जिंदगी सवाल बन गई...
जिंदगी सवाल बन गई...
यही तो सवाल है जिस पर मच जाता बवाल है,
यही तो सवाल है,
अरे तुम कहते हो कि,
बस एक ही सवाल का तो जबाव देना है,
हम भी कई सालों से,
तुम्हारे सवालों का जबाव दे रहे हैं ,
लेकिन तुम्हारे सवाल तो खत्म ही नहीं हो रहे हैं ,
सवाल पर सवाल, फिर बवाल ही बवाल,
आखिर कब खत्म होगा,
तुम्हारे सवालों का ये सिलसिला,
जो बिना रूके बिना थके,
जो वर्षो से आ रहा चला,
हम भी अब थकने लगे है,
सवालों को सुन सुन दिमाग भी पकने लगे हैं ,
अरे यह तो वो बात हो गई,
जिन्दगी ही सवालों का घर हो गई,
क्या ये जिन्दगी भी एक सवाल है,
संघर्ष और परेशानी ही उसके हाल है,
ऐ दुखी मन तू सवालों से मत डर,
जीने के लिए मन में उत्साह उमंग भर,
कहते हैं हर सुबह सवाल लेकर आती है,
जो शाम तक बवाल मचाकर जाती है,
जब रात को उसका हल लाती है,
फिर थका कर नींद में ले जाती है,
फिर दूसरी सुबह आती है,
तरोताजा मन में सवाल उठा जाती है,
यही सवाल तो उस लजीज भोजन,
के बीच फंसा एक बाल है,
नहीं निकलता तब तक,
बन जाता जी का जंजाल है,
कई बार तो यह बाल,
जो बना हुआ है सवाल,
उल्टियां तक करा जाता है,
अच्छे भरे मन को कड़वा कर जाता है,
जिन्दगी में फंसे उस बाल के,
सवाल के हल को,
तलाशते तलाशते,
न जाने कब उम्र बीत जाती है,
पता ही नहीं चलता,
जब सोचते है तो,
मन से ही सवालों की झड़ी लग जाती है,
अब मन के सवालों का जबाव भी दे तो कैसे,
हालातों के बीच जिए तो जिए कैसे,
लोग कहने लगते हैं ,
बस एक ही सवाल का तो जबाव देना है,
हम कहते हैं ,
सवालों का ही तो जबाव दे रहे हैं ,
हमने कब कहा कि तुम हमारे,
सवालों का जबाव दो,
जिस दिन हम सवाल पूछेगें,
ऐ जिन्दगी तू भी हमारे,
उन सवालों का जबाव नहीं दे पाएगी,
जो तूने ही हमे और हमारे सामने,
जिन्दगी के हालात में,
बार बार खड़े किए हैं ,
इसलिए कहते है,
यह सवाल नहीं है,
यह तो सवाल के पीछे का बवाल है,
और इस बवाल से बचने के लिए,
लोग सवाल पर सवाल पूछते हैं ,
ताकि उत्तर दूसरा तलाशता रहे,
उनको तो केवल सवाल ही सूझते हैं.