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Arun Gode

Inspirational

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Arun Gode

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संत कबीर

संत कबीर

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भारतवर्ष का शासक था मौगल वजीर,

हिंदु- मुसलीम वर्चस्व की जंग छीडी थी आरपार।

मौलाना –पंडीत के जंग में आम जनता पर,

हो रहे ते धार्मिक अमानवीय अत्याचर।


सुख ,शांती, विकास और चैन खोकर,

झेल रही थी आम जनता कष्ट अपार।

छः सौ साल पहिले प्रकृतिने किया चमत्कार,

मानव कल्याण के लिए दिया दिव्य एक उपहार।


सब का तारनहार बना संत कबीर,

हिंदु हो या मुस्लिम,गरिब या हो अमिर।

निरु-निमा, कबीर के थे मुसलीम पालनहार,

अनाथ कबीर को दिया माता-पिता का प्यार।


पाखंड,अंधविश्वास, कुरिती, वर्ण व्यवस्था, कर्मकांड,

जातीय श्रेष्ठता,छुआ-छुत, अस्पृशता थी पंडितों की जुबान

हिंदु धर्म में इन आडंबरों की चल रही थी दुकान।

कहते है कबीर को नही मिला गुरु से अक्षरज्ञान,

लेकिन कबीर के दोहे में है वो मर्म और जान।


कबीर के दोहे आज भी प्रासंगिक व ज्ञान की खान,

दुनीया को सीखाता है मानव कल्यान का ज्ञान।

मौलवी-पंडीतो के धार्मिक षड्यंत्र में आया उफान,

आम भक्त इन षड्यंत्रों से थे परेशान।


पाखंड, कट्टरताका मचा था सर्वत्र तुफान,

सांस्कृत केंद्र काशी बना धार्मिक युध्द का मैदान।

मूर्ती पुजा से कबीर रहे अंजान,

स्वर्ग- नर्क है अधर्मी पंडितो का ज्ञान।


पाप- पुन्य है बहुजनो को लुटने की दुकान,

धार्मिक कर्मकांड मौलवी-पंडीतो के आय के साधन।

अहिंसा, प्रेम, समानता,न्याय सहिष्णुअता,सम्मान,

मानवता धर्म की है असली पहचान।


कहते कबीर,मौलवी,पंडित है समाजकसाई निपुन,

इनके चलते समाज को ना मिले कोई सुकुन।

कबीर थे लोकशाहीर मौगलकालीन,

उनके रचे दोहे है जनजागृती की खान।

बिजग जैसे कई ग्रंथों का किया लिखान,

जीस ने दी विश्र्व को मानवता की असली पहचान।

था,है और रहेगा प्रासंगीक कबीर का शिक्षाज्ञान,

कबीर की शिक्षा बहुजनो के लिए एक वरदान।

कबीर स्वयम है धर्मनिरपेक्षता की पहचान,

भीम ने पाया कबीर में सामाजीक गुरु का स्थान।


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