पतिपीड़ा.
पतिपीड़ा.
पतिपीड़ा
जवान किशोर में रहता है एक ही जुनुन,
जीवन में प्यार करनेवाली हसीना हो संग.
उसकी सपनों में खोया रहता है सदा उसका दिल,
कई परायोंसो और तपस्यासे मिल जाती प्रेमीपत्नी.
इश्क और शादीशुदा जिंदगी लगती प्यारी,
इश्क में देते रहते वो दोनों अक्सर कुर्बानी।
जिंदगी के रेल-पेल में उतर जाता जोरूका नशा,
हकीकत के जिंदगी में उतर जाता प्यारका नशा।
दिल्ली का लड्डू जो खाया वो भी पछतायां,
जीसने कभी भी नहीं खाया वो भी पछतायां।
हरदिन के झमेलों से दोनों रहते सदा परेशान,
दोनों बनाएं रखना चाहते अपनी-अपनी शान।
आन-बान-शान में निकलती है दोनों की जान,
झगड़ों के लिए दोनोंको मिलता बस खुलामैदान।
हर पतीका कदम-कदम पर बढ़ता पत्नी बी पी,
ऐसे में खयाल रखती है सिर्फ प्यारी,दिलेर साली।
अगर बढ़ जाएं अचानक पती का बी पी,
तो कम करने में काम आती फिर साली।
अगर गिर जाए पतीका अचानक बी पी,
तो उसे बढ़ाने में काम आती अपनी बीबी।
अगर तेज हो जाएं कभी दिल की धड़कन,
पत्नी के पास जाकर कम हो जाएंगी धड़कन।
कभी-कभी धीमी हो जाएं दिल की धड़कन,
सालीका साथ बढ़ाती पति के दिल की धड़कन।
साली व बीबी का जीवन में बरारबरका योगदान,
शादी करते समय हमेशा रखे दूल्हा एकही ध्यान।
बीबी को जरूर हो काली या गोरी एक बहन,
दोनों मिलके बना देगी पातीका जीवन आसान।
