जेन. सी.
जेन. सी.
जेन. सी.
कुद्रतने बनायां धरती पर एकही इंसान,
जिसकी बुनियादी शरीररचना एकसमान।
इंसानने बनायां कही भारत और जापान,
तो कही ईरान,अफगाण,रूस और यूक्रेन।
कुछ लोगोंने बनाई अपने स्वार्थसे धर्मकी पहचान,
धर्मकी पुंगी बजाते है पादरी,पुरोहित और मौलाना।
इस्लाम,ईसाई,सिख,बौद्ध,यहूदी और जैन,
मानवधर्म के बदले में,मानव विनाशका साधन।
महाशक्तियों ने सुरक्षाके लिए किया हथियारोंका निर्माण,
जिसने बढ़ायां विध्वंसक,विनाशकारी हथियारोंका उत्पादन।
जिसके कारण नष्ट हो रहे मानव उपयोगी विपुल संसाधन,
आर्थिक समृद्धी के लिए हथियार बेचना एकमात्र साधन।
उन्हे बेचने के लिए महाशक्तियों ने बनाई योजना,
विश्वभर में तलाशे और बनाए गए युध्द केंद्रस्थान।
छोटे-बड़े देशों में लड़ाई-झगड़ा अकारण करवाना,
विश्व में हथियारोंके व्यापारसे मोटा मुनाफा कमाना।
लढाई में उलझे देशोंके नष्ट करना कुदरती संसाधन,
संसाधनों के बर्बादी से बढ़ी गरीबी,रोजगार की बेचैनी।
बेरोजगारी, धार्मिक आंतकवाद,भ्रष्टाचार व भ्रष्टशासन,
श्रीलंका,बंगलादेश,नेपाल जैसे गरीब देशोंका है त्रस्त जवान।
इन्ही कारणों से विश्व युवावर्ग बना अंतः दिशाहीन,
और सरकारोंको उखाड़ने की जेन.सी की मनमानी।
उसके निशाने पर स्वार्थी प्रशासन व भ्रष्ट नेतागण,
विश्व भर में बढ़ सकती तीसरे युध्द की संभावना।
युवाओं के समस्याओं का अगर ना निकला समाधान,
विश्व का जेन.सी, विश्वभर से उखाड़ देगा कुशासन।
और बेकाबू हो सकती विश्वमें देशोंकी शासनव्यवस्था,
फिर विश्व के देशोंसे जेन.सी मिटा देगा चैन व अमन।
बेरोजगारी व अकारण कुदरती संसाधनों का दोहन,
वर्तमान युवा व आनेवाले पीढ़ीका होगी निष्प्राण।
कई देशों के पास इंट्रा और इंटर महाद्वीपीय,
मिसाईलोंके लिए फाइटरजेट सुविधाओंका प्रयोजन।
इसी कारणवश तीसरा विश्व युध्द अगर छिड़ा,
तो पृथ्वीसे मानवके साथ सभी जीव होंगे निष्प्राण।
आइन्सटाइन की साकार होगी वो भविष्य वाणी,
चौथे विश्वयुध्द में फिर चलेंगे पत्थर और बाण।
