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Gyanendra Mani Tripathi

Inspirational

4.8  

Gyanendra Mani Tripathi

Inspirational

वास्तविकता

वास्तविकता

2 mins
264


विपरीत समय अब आएगा, मनुजो को वो देहलायेगा।

फिर से होगी अब चीख प्रबल, अब समय काल दोहराएगा।।

रक्तबीज की भांति शत्रु भी देखो लड़ने आया है।

हमने तो दुर्गा खो दी है, अब कौन बचाने आएगा।।


जब हाथ जोड़कर यत्न किया, प्रयत्न की जान छोड़ दो।

काम-क्रोध था माथे पर, अब काम, , काम न आएगा।।

अब नही शेष उसका जीवन, शायद अब तुममे आस जगे।

घर जा कर देखो अपनी शायद तब तुममे एहसास जगे।।


गर यही दिलेरी है मित्रों, तो अच्छा है मैं कायर हूँ।

आने वाली घटनाएं है ये, न लिखूं तो ख़ाक मैं शायर हु।।

अखबार पढ़ो नारी शोषित, समाज पढ़ो नारी पीड़ित।

इन सब कष्टों के झंझट से, अब कौन बचा के लाएगा।।


एक प्रश्न स्वयं पर साधो सब, क्या होता नारी न होती तो।

मैं होता, या होते तुम, बनता कुछ क्या ना होती जो वो।।

पर सम्मान नही देंगे उसको, स्थान नही देंगे उसको।

जिस काम को जन्मी है कर दे घर ही में रहना है उसको।।


बेटी से माँ बनने तक, हर कष्ट सहे वो नारी है।

माँ होने पर भी कष्ट मिले तो जीना उसका दुश्वारी है।।

आज कहीं भी देखो तुम, हर जगह पे चर्चित बेटी है।

बेटी से जीवन था अपना, अब अपना जीवन बेटी है।।


अब याद रहे गर बचना है, सम्मान बढ़ाना सीखो सब।

गर नहीं किया तो भोगोगे, अब समय काल दोहराएगा।।


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