जो आया है वो जाएगा
जो आया है वो जाएगा
ये तो बिल्कुल ही निश्चित है।
जो आया है वो जाएगा।
होता है कष्ट बिछड़ने पर।
यथार्थ न कभी झुठलायेगा।।
जो आया है वो जाएगा....
वो नित प्रत्याशा में उसकी।
वो झांकते रहना नीड़ों से।
क्या हो सकता है भृम भी सच।
या सत्य ही फिर झुठलायेगा।।
जो आया है वो जाएगा....
वो नम आंखों से प्रार्थना।
बढ़ती जिससे हो यातना।
वो रोना की भूल सके दुख को।
क्या दुख को कम कर पायेगा।।
जो आया है वो जाएगा....
वो हमेशा यही सोचते रहना।
अपने मे मगन न कुछ कहना।
क्या रह के अकेला पंथी भी।
बचने को शोर मचाएगा।।
जो आया है वो जाएगा....
वो बात को झुठलाना सीखा।
सच को छोड़ भागना सीखा।
क्या हमने सीखा है जो कुछ भी।
वो काम हमारे आएगा।।
जो आया है वो जाएगा....
चाह नही किसी चीज़ की।
जो चाहा हर चीज़ दी।
पर हे ईश्वर तेरे सिवाए।
क्या शांत कोई कर पायेगा।।
जो आया है वो जाएगा....
तुझसे मिलने की रेल हो।
तुझसे मिलना कोई खेल हो।
चाहे जैसा वो खेल हो।
न मौत से उसमे मेल हो।
वरना तो चाहते हुए भी।
वो खेल न कोई खेल पायेगा।।
जो आया है वो जाएगा....
ये खेल-खेल की बातें है।
कुछ ही तुझसे मिल पाते है।
उन मिलने वालों की भीड़ में।
क्या मुझे देख तू पायेगा।।
जो आया है वो जाएगा...