माँ
माँ
माँ मेरी आवस्यकता हो तुम,माँ मेरा पूरक जो तुम।
माँ रहूं मौन तो व्रत हो तुम,हूँ नाराज़ मैं तो खामोश तुम।।
माँ रहूं जब पीड़ा में तो समान बीड़ा के तुम।
माँ मैं ठंड हूँ, तुम सीत हो,मैं खुश हूं तुम गीत हो।।
मैं प्यार हूँ, तुम प्रीत हो,मैं राग तुम संगीत हो।
माँ तेरी खुशी मेरा ध्येय,तेरा दुख मेरी हार।।
मैं न्यून हो हो श्रेष्ठ तुम,हूँ पंक्ति मैं,तो कविता हो तुम।
हूँ चर्चित मैं,तो चर्चा हो तुम,हूँ भक्त मैं,तो इष्ट तुम।।
हूँ तुच्छ मैं,हो विशिष्ठ तुम,हूँ समय मैं,हो घड़ी तुम।
हूँ जीवन मैं,हो जान तुम,हूँ अज्ञानी मैं,हो ज्ञान तुम।।
हूँ पूर्ण मैं,हो पूरक तुम,हूँ मंदिर मैं, हो मूरत तुम।
हूँ कहानी अगर तो सार तुम।।
माँ
माँ मेरे जीवन का आधार तुम।
माँ हो तुम तो जीवन है।।
माँ हो तुम तो बंजर उपवन है।
