मेरी प्यारी मां
मेरी प्यारी मां
मोटी होने लगी तू
शरीर तेरा होने लगा भारी।
पर खुश थी तू क्योंकि तेरे गर्भ में था मैं
बनकर एक किलकारी।
खयाल था मेरा ही
हर वक्त तेरे मन में।
उछल रहा था दिल खुशी से
जैसे मोर नाच रहा हो वन में।
भले ही तेरे कोख में था
पर था में तेरेलिये आभूषण।
किसी और की जरूरत ना थी
तेरे प्यार से ही हुआ मेरा पोषण।
काम करना कठिन हो रहा था
मैं जी तेरी कोख में था।
हार तो तू माननेवाली ना थी
घर का बोझ तो तेरे सर पर था।
नौ माह तेरे गर्भ में था मैं
मां कहकर पुकारने के लिए था मैं आतुर।
मुझसे ज्यादा तू थी उत्सुक
मुझे गोद में लेने के लिए तूती आतुर।
रक्त से ही भीगा था मैं
जब हुआ था मेरा जनन।
दर्द बहुत ही झेला था तूने
पर भीगे ना थे तेरे नयन।
उस दिन तूने लिया मुझे
अपने हाथों में पहली बार।
सिंहासन रूपी गोद में तेरे जब मैं बैठा
लगा कि मैं ही हूं संसार का सरदार।
दुग्ध नहीं अमृत था मां
जो तूने मुझे पिलाया।
झूला था वह स्वर्ग लोक का
जिसमें तू ने मुझको झुलाया।
तूने दिया सहारा मुझको
जब जब मैं गिरा।
हिम्मत मुझे दी तूने इतनी
उठ खड़ा हुआ मैं दोबारा।
दर्द तो मुझे हुआ था
पर आंसू तेरे छोटे।
त्याग किया तूने मेरे लिए
ताकि सपने ना मेरे टूटे।
पहला भगवान पहला गुरुजी तू
चूमता हूं चरण तेरा।
तू ही वह शक्ति है मां
झुकता है जिसके समक्ष संसार सारा।
तेरे घर भी से मेरा जन्म हुआ
हो गया मेरा जीवन नंदन।
यह केवल प्यार या ममता नहीं
यह है हमारा अटूट बंधन।
