उन्मुक्त गगन के हम पक्षी
उन्मुक्त गगन के हम पक्षी
पंख फैलाये उड़ जा पक्षी,
दूर देश तुम चलते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
जहाँ बंधन ना हो,
ना कोई पहरा,
अंकुश ना हो,
ना जख्म हो गहरा।जहाँ बंधन ना हो,
ना कोई पहरा,
अंकुश ना हो ,
ना जख्म हो गहरा।
दिल ना दुखे अपनों से कभी,
उन्मुक्त गगन में तुम उड़ जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
सीमा ना हो,
ना कोई दीवारें,
ना आँगन हो,
ना चौबारें !!
सीमा ना हो,
ना कोई दीवारें,
ना आँगन हो,
ना चौबारें।
खुले गगन में उड़ जाओ निश-दिन,
नितदिन नव सुंदर घोंसला बनाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
धर्मों से हमको क्या,
सबके हम प्रेमी हैं,
मंदिर ही नहीं,
मस्जिद के भी स्नेही हैं !!
धर्मों से हमको क्या,
सबके हम प्रेमी हैं,
मंदिर ही नहीं,
मस्जिद के भी स्नेही हैं।
तुम उड़कर गुंबज पर धुनि रमाओ,
कभी स्तूपों पर तुम चढ़ जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
धन दौलत से,
कहो क्या करना ?
दिनभर घूम के,
दाना चुगना !!
धन दौलत से,
कहो क्या करना ?
दिनभर घूम के,
दाना चुगना।
आज तुम खा लो मौज मनाओ,
कल की बात को खुद समझाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
प्रकृति का साथ,
रहे जीवन भर,
रोग मुक्त रहें,
तुम सदियों तक !!
प्रकृति का साथ,
रहे जीवन भर,
रोग मुक्त रहें,
तुम सदियों तक।
बाल ना बांका कर पाए तुमको,
स्वच्छ वायु को पाते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।
जंगल नदियाँ,
फूल – पत्तियाँ ,
हैं मेरे प्रिय ये ,
हरी लत्तियाँ !!
जंगल नदियाँ,
फूल – पत्तियाँ ,
हैं मेरे प्रिय ये ,
हरी लत्तियाँ।
इनको नष्ट करते ये मानव,
इनको भी कोई सीख सिखाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
तुममें कोई,
गैर नहीं है,
नर -नारी का,
भेद नहीं है !!
तुममें कोई,
गैर नहीं है,
नर -नारी का,
भेद नहीं है।
द्वेषरहित तुम हम लोगों को,
अपना पाठ सबों को पढ़ाते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो,
उनके साथ ही समय बिताओ।