तुलना
तुलना
भाई साहब क्या गजब करते हो!
आज की तुलना कल,
और कल की तुलना आज से करते हो,
भाई साहब क्या गजब करते हो!
क्या सूर्य से पूछते हो
चाँदनी क्यों नहीं बिखेरता वो ?
या पूछते हो चाँद से
सूर्य की तरह वो जलता नहीं क्यों ?
अगर नहीं,
तो क्यों तोलते हो रोशनी और अँधकार को ?
बखूबी तो निभाते हैं वो अपने-अपने किरदार को।
क्या कल की परेशानियाँ होंगी आज जैसी ?
या आज की खुशियाँ है कल जैसी ?
अगर नहीं,
तो क्यों तोलते हो सुख और दुख ?
क्या पाते हो साथ में दोनों को सम्मुख ?
क्या पूछते हो पत्थर से
क्यों है वो सख़्त ?
या पूछते हो फूल से
क्यों नाज़ुक हो कर टूटता है हर वक़्त ?
अगर नहीं,
तो क्यों करते हो कठोर और कोमल में अंतर ?
क्या रख सकते हो मन में
दोनों भावों को निरंतर?
क्या ज़मीन पूछती है आसमान से
क्यों है वह ऊँचा?
या पूछता है आसमान
क्यों है ज़मीन का स्थान नीचा?
अगर नहीं,
तो क्यों करते हो ऊँचे नीचे की बात?
क्या ला सकते हो कभी दोनों को साथ?
भाई साहब क्या गजब करते हो!
आज की तुलना कल,
और कल की तुलना आज से करते हो।
भाई साहब क्या गजब करते हो!
काले को गोरा,
और गोरे को काले से मोलते हो ?
भाई साहब क्या गजब करते हो !
नाटे को लंबे,
और लंबे को नाटे के तराजू पर तौलते हो।
भाई साहब क्या गजब करते हो !
क्या कर सकते हो
रात को दिन और दिन को रात ?
अगर नहीं,
तो क्यों करते हो इनमें समानता की बात ?
भाई साहब क्या गजब करते हो !
आज की तुलना कल,
और कल की तुलना आज से करते हो,
भाई साहब क्या गजब करते हो !
