सैनिक
सैनिक
वो देश की सीमा के प्रहरी
वतन के रखवाले देखो चले जाते हैं
दिन-रात जो देते पहरा
देश के रक्षक वो कहलाते हैं
दुश्मन गर पार करे अपनी सीमा
तो भक्षक बन नष्ट कर जाते हैं
गरम खून बहता है तन की शिराओं मैं
देश के लिए सर्वस्व लुटा जाते हैं
छोड़ अपने घर-बार और परिवार को
वो देश पर अपनी जान लुटा जाते हैं
जीवन का नहीं उनको मोह कोई
मातृभूमि के सामने सब ठुकरा जाते हैं
शत्रु को कभी सीमा पर है रोका
तो कभी शत्रुओं को घर मैं घुसकर मार गिराते हैं
अपने वतन की आन - बान पर देखो
वो सैनिक हँसते-हँसते जान लुटा जाते हैं।
