STORYMIRROR

Dr nirmala Sharma

Others

3  

Dr nirmala Sharma

Others

✍️कविता✍️

✍️कविता✍️

1 min
238


मन के भावों को चुनकर

शब्दों की माला मैं पिरोकर

मैं कागज पर कलम की मदद से

लिखती हूँ सुंदर सी कविता।

रसयुक्त, हृदय मैं उतरती

प्रेम बावरी लिखती हूँ

मैं कभी कभी मेरी कविता,

तो कभी ओज से भरी

आक्रोश दिखलाती

सबल बनाती तटस्थ कविता।

कष्ट में हो कोई या दुख से भीगा

उन्हें देख रो पड़ती है,

मेरी भावों से भरी कविता

खिलखिलाता है कोई तो

अधरों को थिरकाकर

कभी मुस्कुरा देती है,

मेरी प्यारी सी कविता

जीवन के विविध रंग

दिखलाती है मेरी

अनन्ददायिनी कविता।

जैसे मन के भाव हों मेरे

वैसी ही बन जाती कविता,

कविता ऐसी जो भी पढ़ता

उसकी ही बन जाती कविता,

सत्यम, शिवम, सुंदरम की

करे स्थापना मेरी कविता,

अप्रतिम, अद्भुत और

कभी कभी तो अनन्यतम

बन जाती कविता,

भावों से भरी

सपनों से बुनी,रंगों से सजी

मेरी प्यारी कविता।

                    

                 



Rate this content
Log in