STORYMIRROR

mintu kumar

Inspirational

4  

mintu kumar

Inspirational

माँ- एक स्त्री रूप

माँ- एक स्त्री रूप

1 min
559

माँ- एक स्त्री है

त्याग, समर्पण, बलिदान

सब इसके ही हिस्से में आता है

बच्चे तो बस रहते है ताक में 

उन्हें कैसे छोड़ दे,

ताकि जी ले अपनी ज़िन्दगी

मैं और मेरी बीवी


अरे बीवी भी तो माँ

बनेगी किसी दिन

फिर क्या उसे एहसास

या याद सताएगा


की वो भी मां है उसे

उसके बच्चे छोड़ जाएंगे ?

क्यों इसका जिम्मेदार एक बेटा है ?

उसकी बीवी जिम्मेदार नहीं ?

क्या माँ यही दिन देखने के लिए

जीवित थी जो अपने हिस्से का


खुशी भी तुझे दे दिया

क्या वो सह पाएगी ये वियोग

अरे तुम भी तो

बनोगी एक दिन माँ


सच कहूँ तो

एक स्त्री खुद अपना

अस्तित्व खोती जा रही है

वो खुद जलकर

अपने अंदर की

स्त्रीत्व और मातृत्व की

हत्या कर रही है


और खुद को बता रही है

आधुनिक युग की औरत

क्या मैं गलत हूँ ?

बोलो न तुम


कुछ क्यों नही बोलती हो....

सच कहूं तो सच कड़वा होता है

तभी तुम भी शांत हो गयी

और पड़ गयी हो सोच में।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational