प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
"प्रेम में रहकर प्रेम पत्र तो नही लिखा जाता
जो तुम दूर हो तो ये खता भी कर लेते है ।" न तो मेरे किसी पत्र का कोई जवाब आया
न आया कोई सन्देश
तुम यूँ ही बैठ आँगन में दाना देती रही लबरेज़
सोचती रही सुहाने पल को देत
मंद-मंद मुस्कान
गुनगुनाती , नाचती, छेड़ती कोई तान
छम-छम बजते तेरे पायल ,छोड़ जाते प्रेम निशान
इन्तजार करत, देखत दरवाजे-चौखट खिड़की मकान
अब तो कोई सन्देश भेज दे मेरी जान