वृद्धा अवस्था में दादाजी
वृद्धा अवस्था में दादाजी
पत्ते खेलते बुजुर्ग राजनीति पर करते चर्चा
और मुहावरे देकर देते इक दूजे को मात
चौपाल पर कही कही चाय के साथ होती बतकही
तो कही किसी की बेटी ब्याह दी जाती
फलनवा के लड़के के साथ
तो कही चर्चा होती है सास बहू के खट्टे-मिट्ठे व्यवहार
तो कही अखबार खोल होती
हर मुद्दों पर चर्चा
वही बड़े बुजर्ग कहते है अपनी कहानियां
अपने पोते-पोतियों को
तो वही भेद खुलते है बचपन के सरारती खेल का
तमाम लोक कल्याण की बात कर
सारे मत को
एक साथ रख होती
सम्मान तो कही मिलती है क़ई
कहानियों के साथ एक नई सीख
और अंत मे सब हिसाब किताब बराबर करके
दर्जा दे जाते है दादा-दादी को पीपल बरगद के पेड़ से
जो छाँव के साथ साथ दे जाते है
अथाह ज्ञान और सम्पूर्ण जीवन का रहस्य
और इस तरह से
बच्चे जब हो जाते है सयान तो
खुद को अपने दादा की जगह रख
सोचते है पुरानी बात जो और
वही ज्ञान दे जाते है अपने पोते-पोतियों को
और इस तरह से ये ज्ञान
अनंत काल तक जीवित रहता है।