प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
तुम आओ पास मेरे कि तुम्हारे सारे दर्द ले लूं
ले लूं तुम्हारे हिस्से की वो आंसुओ की बूंद
जिससे कभी भीग गया था तकिया
और कर अपने नाम की घुमक्कड़ी तेरे नाम
ले लूं तुझसे घर पर बन्द रहने की पाबंदियां
आ बैठ पास मेरे कि
मिलकर जलाऊंगा चूल्हे
तेरे संग कुछ बनाऊंगा पकवान
अपने हाथों से सजा उसे खिलाऊंगा तुझे!
एक तो चूल्हे की मिठास
और उसपर तेरे साथ का मिठास
आ चल इस मिठास से सजाऊँ अपने
घर-आँगन-गाँव की छत ।
आ चल शुरू करे नए सोच-संस्कार के साथ
कि आने वाली पीढ़ी कहे
स्त्री है सर्वशक्तिमान
सर्वशक्तिमान ।