नही देखा है
नही देखा है
मैंने नहीं देखा है ये चांद-वांद
छल -कपट, प्रेम-वासना,
मैंने देखा है टूटता हुआ तारा
जो उसके दिल के आंगन से होकर गिरा था कभी,
महसूस किया था उसका दर्द अभी-अभी,
खुद को कर दिया था उसका
ताकि वो जी सके फिर से अपना जीवन
मैं बन सकूं उसका हिस्सा,
ताकि लिख सकूँ ज़िन्दगी का अधूरा किस्सा
ये रूठना-मनाना -वनाना
तो एक अंग है इश्क का,प्यार का
ताकि उसे पता चले वो मान-सम्मान, वो कद्र
जो चूम सके वो मन्ज़िल ,हो सके सच से रूबरू वो
खड़े रह सके इस संसार में
और खुद को कर सके जीवित,मन को जीवंत,
और बना सके एक अपनी अलग पहचान ज़िन्दगी में नए रंग-रूप में ।