स्त्रीत्व
स्त्रीत्व
लिख रहा हूं एक आवाक सच
अपने प्रेम के लिए,
सिर्फ अपने प्रेम के लिए नहीं
अपितु अपने प्रेम के तरफ से
सारी नारी तत्व के लिए,
तुम बन तो रही हो आधुनिक औरत
मगर बन नहीं पा रही हो तुम
एक भारतीय नारी,
तुम बन रही हो एक कलयुग की नारी
मगर बन नहीं पा रही हो तुम
इतिहास की नारी,
तुम जानती हो लड़ना मगर
कर नहीं पा रही जो उसका सही समय पर प्रयोग,
हां, तुम बन रही हो कमजोर
मगर तुम बन नही पा रही अंदर से मजबूत
मगर वो समय आ गया है अब
तुम्हें बनना होगा
जन्म लेना होगा एक नए क्रांतिकारी नारी के रूप में,
हाँ, तुम्हें लड़ना होगा खुद की रक्षा के लिए,
बना जायगा तुम्हें खुद
दुर्गा, काली,मणिकर्णिका
सावित्रीबाई फुले
कस्तूरबा गांधी...
लौटना होगा तुम्हें अपने
स्त्रीत्व और मातृत्व की
रक्षा के लिए ।