STORYMIRROR

Amogh Agrawal

Romance Others

3  

Amogh Agrawal

Romance Others

सतरंगी मैं

सतरंगी मैं

1 min
349

मैं लाल हुई

जब मिली नज़रें

शर्मों हया से 


मैं पीत हुई

लगी बदन हल्दी 

प्रीत नाम की


मैं नीली हुई

साँसे प्रीत की छूती

जब बदन 


मैं काली हुई

चुराकर काज़ल

प्रीत नूर का 


मैं हरी हुई

अनंत खुशियाँ पा

तुम जो मिली


सिंदूरी हुई

लगा तेरे नाम का

माँग सिंदूर


मेहंदी हुई

रोम रोम लिखा है

तेरा ही नाम


पीहर छोड़

इंद्रधनुष बन

तुम्हें पाई हूँ


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance