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Amogh Agrawal

Romance Others

3  

Amogh Agrawal

Romance Others

सतरंगी मैं

सतरंगी मैं

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मैं लाल हुई

जब मिली नज़रें

शर्मों हया से 


मैं पीत हुई

लगी बदन हल्दी 

प्रीत नाम की


मैं नीली हुई

साँसे प्रीत की छूती

जब बदन 


मैं काली हुई

चुराकर काज़ल

प्रीत नूर का 


मैं हरी हुई

अनंत खुशियाँ पा

तुम जो मिली


सिंदूरी हुई

लगा तेरे नाम का

माँग सिंदूर


मेहंदी हुई

रोम रोम लिखा है

तेरा ही नाम


पीहर छोड़

इंद्रधनुष बन

तुम्हें पाई हूँ


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