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PRAVESH KUMAR SINHA

Inspirational

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PRAVESH KUMAR SINHA

Inspirational

ऋतुराज बसंत आ गया

ऋतुराज बसंत आ गया

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सरसों फूली जब खेतों में

नये पत्ते उग आये पेड़ो में

मन में नया उमंग छा गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


दिन भी सुहावनी लगने लगी

ढोल-शहनाई भी बजने लगी

सभी को ये मौसम भा गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


बसंत की शोभा से मन सींचता

फूलों की खुशबू उर को खींचता

प्यार करने का उमंग ला गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


चाँद की शीतलता को साथ लिये

स्वर्ग की सुंदरता का प्रवाह लिये

हृदय में नव मधुर दाह ला गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


कलि के पलको में मिलन-स्वप्न लाया

अलि के अंतर में प्रणय-गान लाया

मन में फाल्गुन का लौ सुलगा गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


उमंग बड़ी है और आशा नयी

है उम्मीद नयी अभिलाषा नयी

साँसे में नया संचार आ गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


फूलों से बाग भी महकने लगे

पक्षी कोयल भी कुहकने लगे

जीवन में नव रसधार छा गया

देखो ! ऋतुराज बसंत आ गया।


नयी-नयी इच्छाएं मन को देता

ज्ञान नया हमारे जीवन को देता

प्रकाश मिला जैसे चांदनी छा गया

देखो ! देखों ! ऋतुराज बसंत आ गया।


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