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PRAVESH KUMAR SINHA

Children Stories

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PRAVESH KUMAR SINHA

Children Stories

गौरैया

गौरैया

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रोज सबेरे मेरे कमरे में

खिड़की से आती गौरैया

अपनी मीठी आवाज़ों से

मुझको है जगाती गौरैया।


समय से कोई कार्य करने

हमें है सिखलाती गौरैया,

चहक-चहक की बोली से

मन मेरा भरमाती गौरैया।


फुदक-फुदक कर परी जैसी

घर की रौनक बढ़ाती गौरैया,

उसी में खो कर रह जाऊ मैं

चुपके से कह जाती गौरैया।


कभी आँगन कभी बरामदे में 

और माँ के रूम में जाती गौरैया,

चारों तरफ घूम-घूमकर मस्ती में

पीती पानी और दाना खाती गौरैया।



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