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PRAVESH KUMAR SINHA

Inspirational

4.5  

PRAVESH KUMAR SINHA

Inspirational

तुम सृष्टि हो

तुम सृष्टि हो

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निराशा भरी तम सा जीवन को

आकर भरता प्रकाश खुशी का

दिशाहीन को वो राह दिख लाता

इससे ही बढ़ता पहिया सृष्टि का


सूर्य तम की चादर को चीरकर

कर रहा फिर से नयी शुरुआत

संग में जीवन की प्रेरणा लेकर

फिर से दे रहा अंधेरा को मात


एक नन्हा सा बीज अंकुरित होकर

अपना कोमल पंख पसारा है देखो

मिट्टी, पानी और सूर्य से ऊर्जा लेकर

दूजे को देता हमेशा सहारा है देखो।


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