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PRAVESH KUMAR SINHA

Abstract Inspirational

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PRAVESH KUMAR SINHA

Abstract Inspirational

माँ का प्यार

माँ का प्यार

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माँ तुम्हें मैं कैसे भूल सकता हूँ

तुमने मुझे अपना स्नेह दिये हो


जीवन रूपी अमृत से सींची हो

अपनी खुशियाँ मुझपे लुटायी


तुम तो ईश्वर से भी बढ़के हो

तेरा ऋण मैं नहीं चूका सकता


हमें मिट्टी से कठोर हीरा बनायी

मुझे एक अपनी पहचान दी हो


माँ तुम पल-पल याद आती हो

वो दिन आज भी याद है जब मैं


गलती किया तो मेरी पिटाई हुयी

और मुझे रोते देख खुद भी रोयी


पता है माँ तू जब नहीं होती हो

मैं बिलकुल अकेला हो जाता हूँ 


तेरी आँचल में ही स्वर्ग छिपी है

एक वादा मुझसे करोगी तूम माँ


मुझे छोड़कर तू कभी मत जाना

वरना मैं तो जीते जी मर जाऊंगा 


तुम्हारे बारे में जितना भी लिखूँ

कम ही होगा क्योंकि तेरा अंत नहीं।


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