STORYMIRROR

Sunil Maheshwari

Thriller Children

4  

Sunil Maheshwari

Thriller Children

बाल्य जीवन

बाल्य जीवन

1 min
109

थोड़े हठीले थोड़े चंचल,

होते हैं ये थोड़े नादान,

थोड़ी शरारत थोड़ी मस्ती,

दिन भर का होता काम,


अपनी ही दुनिया में खुश रहते,

खिलौनों से रहता बेहद प्यार,

मिल जुल साथ सभी खेलते,

नहीं रखते कोई तकरार।


नन्हे नन्हे क़दमों से,

नाप आते खेेत खलिआन,

तृण भी खिल उठता तब,

कदमों की कर पहचान।


इनसे बच कर रहना भैया,

राज ये सारे खोलें,

जब सामने हों ये जासूसी बच्चें,

तो हौले ही कुछ बोलें।


खुश हो उठता है मन,

जब बच्चों संग हम खेलें,

छू मंतर हो जातेे संंकट,

ना कोई झेल झमेले।


इनसे गर हम सीख लें,

अपनापन जग का सारा,

नहीं होगा फिर क्लेश कोई,

अदभुत होगा फिर सारा नज़ारा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Thriller