रात का गहरा रहस्य
रात का गहरा रहस्य
रात के सन्नाटे में खौफ का साया
हुआ-हुआ करता *शृंगाल
भय को बढ़ाता आया ,
गुप्त सी हैं कुछ बातें
अल्ट्रासोनिक ध्वनियों के बीच
चमगादड़ों की हैं मुलाकातें ,
दफ़न हैं यहां हज़ारों हज़ार
कुछ गज़ ज़मीन के लिए
बाहर लगी है अभी भी कतार ,
रोज़ एक हलचल सी होती
पत्तों पर चलता सा कोई
जब सारी दुनिया है सोती ,
सच अंदर है छुपा हुआ
अनजाना सा भय है
कोई राज़ है अंदर दबा हुआ ,
रोज़ एक नक़ाबपोश है आता
क़ब्रिस्तान के अंदर
एक गहरा रहस्य जगा जाता ।
