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Mamta Singh Devaa

Thriller

4  

Mamta Singh Devaa

Thriller

रात का गहरा रहस्य

रात का गहरा रहस्य

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रात के सन्नाटे में खौफ का साया 

हुआ-हुआ करता *शृंगाल

भय को बढ़ाता आया ,


गुप्त सी हैं कुछ बातें 

अल्ट्रासोनिक ध्वनियों के बीच

चमगादड़ों की हैं मुलाकातें ,


दफ़न हैं यहां हज़ारों हज़ार

कुछ गज़ ज़मीन के लिए

बाहर लगी है अभी भी कतार ,


रोज़ एक हलचल सी होती

पत्तों पर चलता सा कोई

जब सारी दुनिया है सोती ,


सच अंदर है छुपा हुआ

अनजाना सा भय है

कोई राज़ है अंदर दबा हुआ ,


रोज़ एक नक़ाबपोश है आता

क़ब्रिस्तान के अंदर 

एक गहरा रहस्य जगा जाता ।



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