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Kishan Negi

Drama Thriller Children

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Kishan Negi

Drama Thriller Children

चलो पहाड़ों की सैर करें (Prompt-20)

चलो पहाड़ों की सैर करें (Prompt-20)

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परीक्षा ख़त्म होते ही, गर्मी की छुट्टियाँ आयी 

जैसे मुरझाये उपवन में, बसंत की महक छाई

घर में हर थका चेहरा, लाल गुलाब-सा खिला है 

बड़े दिनों के बाद, ख़ुशी का इक पल मिला है 


गर्मी की छुट्टियों में, हम सब मौज़ मनाएंगे 

सारा सामान बाँध कर, पहाड़ों में घूमने जाएंगे 

कितने उतावले थे सब, सुनकर ये अच्छी ख़बर 

कितनी रोमांचक होंगी, ऊंचे पहाड़ों की डगर 


कितने मनोहारी होते हैं, हरे-भरे पेड़ों के साये 

वादियों के गाँव में, शीतल हवा मन को भाये 

कहीं देवदार के पेड़, कहीं चीड़ सामने खड़े हैं 

यहाँ के मौसम के भी, सूना है मिज़ाज बड़े हैं 


जिधर भी नज़र दौड़ाओ, कुदरत झूम रही है

बर्फीली चोटियों को, सुबह किरणें चूम रही हैं 

यहाँ की ढलतीं शाम, जैसे वक़्त थम जाता है 

जिसने ये नज़ारा देखा, इसमें ही रम जाता है 


जी तो चाहता है, पहाड़ों में हो अपना ठिकाना 

जिसके क़दम पड़े यहाँ, भूला है सारा ज़माना 

किसी ने सच कहा है, देखो कुदरत को करीब से 

मगर ये मौक़ा मिलता है, अपने-अपने नसीब से 



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