पत्र
पत्र
एक पत्र अपने *"मन रंगमंच* " के नाम
प्रिय मन रंगमंच,
सादर नमन
सबसे सुंदर रंगमंच हो तुम दुनिया के,
बहुत प्यार करती हूँ मैं तुमसे मेरे मन रंगमंच।
कोई रोक-टोक नहीं, मन की करने देते हो,
जो अभिनय मैं चाहूँ, वही करने देते हो।
अपनी कल्पना में अपने मन-रंगमंच पर,
कभी हेमा मालिनी तो कभी ऐश्वर्या बनूँ,
अपने मन-रंगमंच की मैं असल हिरोइन,
जो रुप मुझे भाए वही तुम पर मैं धरूँ।
मेरी अपनी सल्तनत मेरा अपना राज
अकेली मैं सम्राज्ञी, पूरी करूँ मन की प्यास,
प्रिय तुम पर अभिनेत्री बन खुद को सराहूँ,
खुद ही श्रोता बन ताली जोर से बजाऊँ।
बाल सुलभ बच्चों सी खुद पर मैं रिझाऊँ।
न कोई प्रतिद्वंद्वी न कोई अवरोध
मैं, मेरी सोच और तुम, मन रंगमंच
अक्सर यूँ ही मिल जाते हैं हम बतियाते हैं।
बाकी बातें अगली बार ...
तुम्हारी अपनी
नीरजा शर्मा
