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अख़लाक़ अहमद ज़ई

Fantasy

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अख़लाक़ अहमद ज़ई

Fantasy

घेट्ठा पड़ने तक

घेट्ठा पड़ने तक

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आज ही तुम्हारे महत्वाकांक्षाओं के

प्रकाश उगे हैं 

और आज ही

इंद्रधनुषी सपनों के

फूल खिले हैं

सफलताएं पास बुलाती

लगती हैं तुम्हें 


अफसोस तुम्हारे भोलेपन पर

और सहानुभूति भी

यदि बता दूँगा

तुम्हारे और तारों के बीच की दूरी 

असमंजस में पड़ जाओगे 

हो सकता है

सड़कों के 

समानान्तर रेखाओं के बीच भी

भटक जाओ

या

फांसी लगाकर लटक जाओ

इसीलिए 

चुप रहकर इंतज़ार करूंगा

तुम्हारे हाथों में घेट्ठा पड़ने तक

कि

तुम्हें धूप में रहना

अब अच्छा लगने लगा है



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