मुझे क्या पता था कि...
मुझे क्या पता था कि...
मुझे क्या पता था कि वो ही,
मोहब्बत का राज़ पूछ लेंगे।
खामोश रहेंगे खुद मगर,
मेरी मुस्कुराहटों का राज पूछ लेंगे।
वह तो सो जाएंगे सुकून से,
पर मेरे सपनों का पता पूछ लेंगे।
एक ही मुस्कान पर वो,
जमाने का दस्तूर पूछ लेंगे।
शाम सोने लगेगी किरणों की गोद में,
तो रात की सारी कहानी पूछ लेंगे।
हैरान था कि मेरी शिकायतों से,
दिल का सारा हाल पूछ लेंगे।
बिन कहे भी कुछ मुझसे,
सलवटों के राज पूछ लेंगे।
खुद तो करेंगे नहीं इजहार मोहब्बत का,
और मेरे इश्क का अंदाज पूछ लेंगे।