नया इतिहास
नया इतिहास
नये दशरथ का वसीयतनाम
कैकयी सुनो--
यदि मैं शम्बरासुर के युद्ध में
प्रहारों से अचेत होकर गिर जाऊँ
तो तुम इस बार
रणक्षेत्र से बाहर मत लाना
मैं नहीं चाहता
फिर कोई मंथरा पैदा हो
और --
तुम राम के अभिषेक के समय
मुझ पर वचनों से विमुख होने का
दोषारोपण करो
मैं नहीं चाहता
कि अपने प्रतिज्ञा-पाश में बंधकर मरूं
हाँ --
यदि तुम मेरी अर्धांगिनी का फ़र्ज़
निभाना ही चाहो तो
केवल इतना करना कि
मुझे इन्द्र को सौंप देना
और कहना --
मुझे ढाल और तलवार की तरह
इस्तेमाल करें
ताकि --
मेरे मृत्यु का
नये सिरे से इतिहास लिखा जाय
तब मुझे दुनिया शाप प्रतिफलित
लक्ष्मण हमें लोकद्रोही
और कोई कौशल्या
अपने को दासी ना समझे।