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अख़लाक़ अहमद ज़ई

Abstract

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अख़लाक़ अहमद ज़ई

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इस मुल्क़ से एक सवाल

इस मुल्क़ से एक सवाल

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मैं आया (पैदा हुआ) था

अपने आप को जीतने के लिए 

मेरा संघर्ष 

शुरुआती दौर में ही था 

जब पता चला 


सुबुग्तगीन भी आया था 

और गोरी भी आया था 

और मुग़लिया भी आये थे

और ब्रितानी भी आये थे

मैंने शोध किया 

और निष्कर्ष निकाला

कि


मेरे और इनके संघर्ष में अंतर है

इनको विजय चाहिए थी मुल्क़ पर

मुझे फतह चाहिए ख़ुद पर

इतिहास गवाह है 

इस मुल्क़ से सभी हारे हैं


लेकिन यह क्या ? 

मैं भी हार गया ? 

हतप्रभ हूं

ऐ मेरे वतन

क्या तुम बता सकते हो ? 

मैं क्यों हारा ? 


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